महर्षि औरोबिन्दो सुभारती कॉलेज एवं हॉस्पिटल ऑफ नेचुरोपैथी व योगिक साइंसेज
प्राकृतिक एवं योग चिकित्सा पद्वति प्राचीन चिकित्सा पद्वतियो में से एक है, जिसमें उपचार के लिए प्रकृति में उपलब्ध स्त्रोतों का उपयोग किया जाता है। बात अगर प्राकृतिक चिकित्सा के सिद्धांतों की करे तो प्राकृतिक चिकित्सा में रोगो का एक ही कारण है। वह शरीर में अवांछनीय तत्वो का जमा होना, जिसका मुख्य कारण शरीर में जीवनी शक्ति का कम होना हैं। हमारे शरीर में जीवनी षक्ति का विषेश महत्व है, जो जीवन को चलाने के लिए आवष्यक है। सभी शारीरिक कार्यो को करने की शक्ति प्रदान करती है जैसे भौतिक, मानसिक, वाचिक आदि, इसके अलावा जीवनी शक्ति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाती है और हीलिंग में मद्द करती है। शरीर को रोग मुक्त रखने के लिए जीवनी शक्ति का सद्उपयोग कर संरक्ष़ण करना चाहिए।
दूसरे षब्दों में, प्राकृतिक चिकित्सा पद्वति जीवन जीने की कला है। जब भी हम अपने आचार, विचार व्यवहार निद्रा से प्राकृतिक सिद्धांतों का उलल्लंघन करते है या असयमित रूप से लापरवाही बरतते है। तब हमारी जीवन शक्ति का ह्रास होता चला जाता है, परिणाम स्वरूप हमारी जीवन शक्ति जो की शरीर को स्वस्थ रखने का उत्तरदायित्व वहन करती है, पूर्णतया वहन नही कर पाती और शरीर की गन्दगी (टॉक्सिन) को बाहर निकालने में असर्मथ होती है। जो शरीर में एकत्रित होने लगते है तथा तीव्र व जीर्ण रोगों का कारण बनते है।
प्राकृतिक चिकित्सा पद्वति द्वारा हम जीवनी शक्ति का स्तर बढातें है। जिससे पुनः धीरे-धीरे रोगी का शरीर टॉक्सिन मुक्त होकर निरोगी होने लगता है। बात करे प्राकृतिक चिकित्सा के अर्न्तगत उपचार विधियों की, तो हमारा शरीर पंच तत्व से मिलकर बना है। प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार-मिट्टी, पानी, धूप, हवा सब रोगो की एक दवा जल चिकित्सा, मृदा चिकित्सा, सूर्य चिकित्सा, मालिष, ऐक्युपंचर, ऐक्युप्रेषर, आदि विभिन्न उपचार विधियाँ उपयोग की जाती है, जो बिल्कुल दुश्प्रभाव मुक्त है। प्राकृतिक चिकित्सा पद्वति में हम लोगो के जीवन जीने की सही कला सिखाते है, जिससें रोगी रोग मुक्त तथा स्वस्थ व्यक्तियों को अपना स्वास्थ बनायें रखने में मदद मिलती है।