यूँ तो मैं एक बेटी हूँ
यूँ तो मैं एक बेटी हूँ, लेकिन दिल मेरा घबराता है!
ना जाने मेरा जन्म लेते ही, सबका मुँह क्यों बन जाता हैं!!
लेकिन एक बात बताऊँ
—
मुझे देखते ही, मेरे पापा का चेहरा खिल जाता है!
मेरी माँ को सुकून आता है,क्योंकि उसको अपना बचपन याद जो है!!
दादी माँ को मुझ पर बहुत प्यार आता है, और दादु तो मेरा ख़ुशी से नाच जाता है !!
लेकिन फिर भी मेरा जन्म लेते ही सबका मुँह क्यों बन जाता है!! यूँ तो!!
मेरा तो अच्छा मेरे माँ पापा करेंगे, मुझे पता है वो ही मेरे साथ खड़े होंगे!
रही बात मेरी शादी की, तो वो सब मेरे दादु और पापा करेंगे! तो चिन्ता ना करो, मुझे पता है मेरा। सब काम भगवान करेंगे!! यूँ तो!!
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बेटी तो अपना नसीब खुद लिख कर आयी होगी!!
यूँ तो मैं एक बेटी हूँ,लेकिन दिल मेरा घबराता है!
ना जाने मेरा जन्म लेते ही, सबका मुँह बन जाता है!!
Written By - Ms. Rashi Yadav B.El.Ed, 4th Semester Faculty of Education