मैं एक औरत हूँ…..!

___
अनेक रूप होते हैं एक औरत के,
लेकिन फिर भी कदर नही होती औरत की,
न जाने कब खुश होगी दिल से औरत भी,
या एसी कटेगी ज़िन्दगी बेचारी औरत की!!!!
___
कोई परवाह नही करता औरत की कभी ,
लेकिन फिर भी सबको खुश रखने के लिए,
खुद की ख़ुशी मिटाती है सभी,
तब भी ग़लत कहलाती है औरत!!
___
अपने घर से अलग हो कर आती है औरत,
फिर भी दूसरे घर में अलग हो जाती है औरत,
जताया जाता है जेसे कमजोर हो औरत,
बताया जाता है ग़लत होती है औरत!!
___
सबका काम करती है औरत ,
न करे तो कामचोर कहलाती है औरत,
अपने दुःख किसी को नही बता पाती है औरत,
अपना दुःख खुद सह जाती है औरत,
फिर भी ग़लत कहलाती है औरत !!
___
हर चीज़ पर रोक टोक लगाकर जीती है औरत ,
अपने आपको अकेला महसूस करती है औरत,
चुप हो कर सब कुछ सहती है औरत ,
फिर भी ग़लत कहलाती है औरत ,
मन तो करता है ख़त्म हो जाए औरत,
लेकिन अपने परिवार के लिए जीती है औरत!!
___
औरत का भी मन होता है,
लेकिन कौन सुनता है उसकी,
क्यूँकि ग़लत कहलाती है औरत ॥॥
___
खुद के लिए नही लड़ पाती है औरत,
अपने हक के लिए कुछ कह नही पाती है औरत ,
और अगर कुछ कह दे तो ग़लत कहलाती है औरत ,
क्या सच में आज़ादी से नही जी पाती है औरत!!
___
ग़लत होने पर थक हार के,
अपनी बात पति को बताती है औरत,
उसपर विश्वास नही किया जाता,
क्यूँकि उसकी नज़र में , अपनी माँ बहन के सिवा,
ग़लत होती है औरत!!
___
दुनिया का दस्तूर है अपनी माँ बहन और बेटी ,
अगर कोयला है तो भी उसपर मख़मल का पर्दा,
लेकिन दूसरे की बेटी अगर सोना भी है,
तो भी उसको ग़लत साबित करके पूरे शहर में ढिंढोरा पीटना, क्यूँकि ग़लत कहलाती है औरत !!
_______________________________________________
Written By -
Ms. Rashi Yadav
B.El.Ed, 4th Semester
Faculty of Education

Write A Comment